बिहार चुनाव को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने कहा कि मैं 14 करोड़ बिहारियों की बात करूंगा। बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट की बात करूंगा।
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने मंगलवार (30 सितंबर, 2025) को कहा कि उनके लिए राजनीति का आधार जाति नहीं, बल्कि बिहारी पहचान है। पासवान ने पटना में संवाददाताओं से कहा, ‘मैं 14 करोड़ बिहारियों की बात करूंगा। बिहार फर्स्ट और बिहारी फर्स्ट की बात करूंगा। मेरा दल जातिगत समीकरणों से ऊपर उठकर महिलाओं और युवाओं को प्राथमिकता देने वाली राजनीति में विश्वास करता है।’
उन्होंने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लगातार जातिगत समीकरणों की बात करते हैं। पासवान ने कहा, ‘तेजस्वी यादव के दिमाग में EBC, OBC, दलित और अन्य जातियां हो सकती हैं, लेकिन हमारे लिए बिहार की जनता सिर्फ बिहारी है। जो नेता ‘एम-वाई’ (मुस्लिम-यादव) का तमगा गर्व से पहनते हैं, वे हमेशा जाति आधारित राजनीति करते रहेंगे। ’
महिलाओं और युवाओं के हाथ में बिहार की ताकत
केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी भी ‘एम-वाई’ समीकरण को मानती है, लेकिन उसका अर्थ है ‘महिला और युवा’। इसे उन्होंने पार्टी की नयी सोच और नयी पहचान बताया। उन्होंने कहा, ‘बिहार की राजनीति में अब समय आ गया है कि महिलाओं और युवाओं की ताकत को केंद्र में रखा जाए क्योंकि यही वर्ग आने वाले बिहार को नयी दिशा देगा।’
उन्होंने कहा, ‘मेरी राजनीति का मकसद बिहार के प्रत्येक नागरिक को सम्मानपूर्वक राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल करना है। जनता की समस्याएं, विकास और युवाओं के लिए रोजगार मेरे एजेंडे के प्रमुख बिंदु रहेंगे।’ बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सहयोगी दल के नेता चिराग ने जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की ओर से बिहार सरकार के मंत्री पर लगाए गए आरोपों की जांच की भी मांग की।
‘विपक्ष कर रहा वोट बैंक की राजनीति’
उन्होंने निर्वाचन आयोग की ओर से मतदाता सूची जारी किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिपोर्ट का आना अपेक्षित था। पासवान ने कहा, ‘अब देखना है कि विपक्ष इस पर कितनी राजनीति करता है। अगर कोई त्रुटि होती है या कोई अच्छा सुधार हुआ है, तो उसकी जिम्मेदारी पूरी तरह निर्वाचन आयोग की होगी।’ उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि यह केवल ‘वोट बैंक की राजनीति’ है।